Tuesday, November 13, 2012

Is Se Pahle

अधजले ख़्वाबों के टुकड़े...
कुछ कतरे आसमानों के...
बिखरे से पड़े हैं... 
जाने कब से...
चुभेंगे मेरी आँखों को... टूटे काँच की तरह...
अब चुन भी लो न, इन्हें...
नब्ज़ डूब जाए, इस से पहले...

एक नज़्म मीर की हो...
कुछ मिसरे दाग के जैसे...
पढ़ देना मेरे लिए...
कुछ सुखन मेरे ही...
या सिरहाने रख देना...
वो लोरी जो, माँ ने सुनाई थी...
नींद आ जायेगी मुझको...
नब्ज़ डूब जाए, इस से पहले...

इस से पहले, की ये रात...
उजाले को डस ले...
रहगुज़र ख़त्म हो, सफ़र से पहले...
किरणें जला दे शबनम को...
धरा से पहले...
हर ज़ख्म को भर जाने दो...
इस ज़हर को उतर जाने दो...
नब्ज़ डूब जाए, इस से पहले...

~abhi

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