Thursday, May 13, 2010

Question

On a blank sheet of paper, 
I would merely write a question. . . 
and no sooner was the question written than the answer would form in my head, as if, 
as if, someone were whispering in my ear...
I guess, i was taking dictation!!!

Wednesday, May 12, 2010

Bas ye hi Khwaab

साँसों को रोके रखते हैं, हर इक दुआ के असर होने तक...
हमने जिंदगी को ताक़ पे रख के, हर दम फ़र्ज़ निभाया है...

जानी पहचानी सी तन्हाई की महफ़िल, और पराया हर सख्श...
मैंने जिसको भी कभी अपना समझा, वो मेरा न हो पाया है...

तुम आँखों की सुर्खियत को, खुमार-ए-बादा न समझ लेना...
ये तो रंग-ए-खून-ए-जिगर है, जो आँखों में उतर आया है...


अपना सा कोई एक आसमां हो, इस बेरहम सी जमीं से दूर...
सिर्फ यही जुस्तजू रखते हैं, बस ये ही ख्वाब सजाया है...


--abhi

Wednesday, May 5, 2010

Jubse Tune Mujhe

जबसे तुने मुझे दीवाना बना रखा है
संग हर शख्स ने हाथों में उठा रखा है

उसके दिल पर भी कड़ी इश्क में गुज़री होगी
नाम जिसने भी मुहब्बत का सज़ा रखा है

पत्थरों आज मेरे सर पे बरसते क्यों हो
मैंने  तुमको भी कभी अपना खुदा रखा है

अब मेरे दीद की दुनिया भी तमाशाई है
तुने क्या मुझको मुहब्बत में बना रखा है

पी जा अय्याम की तल्खी को भी हँस कर नासिर
गम को सहने में भी कुदरत ने मज़ा रखा है



Saturday, May 1, 2010

Aakhri Pyaas

Shaam yun hi gujar gayi, ab ye raat aakhri hai...
Kehna to bahut kuch tha, par ye baat aakhri hai...

Har khwaab adhoora hai abhi, intezaar ab bhi wahi...
Pyaas bhujti bhi nahi, aur ye barsaat aakhri hai...

Sajde jab bhi kiye maine, tere parwaaz ki khairiyat maangi...
Meri kashti ki, tere toofaan se, ye mulaaqaat aakhri hai...

Tujhse judaa nahi main, bas doori hai kuch lamhon ki...
Teri justju hi mere is dil ka, jazbaat aakhri hai...

~abhi

Sehar

इस काली ठंडी आग को वापस कर रहा हूँ मैं… 
और इसी के साथ लौटा रहा हूँ, ये सफेद मिट्टी, ये गतिहीन पानी , 
ये बहरी हवा और ये अथाह आकाश, जो गूंगा है…
यूँ तो मैं जानता हूँ ईश्वर, 
की तुम जानते थे की एक दिन,
मैं ये सब कुछ इसी तरह तुम्हें वापस कर दूँगा |