Wednesday, October 13, 2010

Haqeeqat

कभी ख्यालों को अलफ़ाज़ नहीं मिलते...
और कहीं खामोश रहने की मजबूरी है...

जिंदगी बस सफ़हे पलटती जाती है...
और हर पन्ने पे दास्ताँ अधूरी है...

मुसाफिर हैं हम मंजिलों की तलाश में...
लम्हे भर का साथ है, सदियों की दूरी है...

हर जुस्तजू हकीकत नहीं हो सकती...
कुछ ख़्वाबों का टूट जाना ही जरूरी है...

~abhi

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