हम तो मौजूद थे, रात में उजालों की तरह...
लोग निकले ही नहीं, ढूँढने वालों की तरह...
दिल तो क्या, हम रूह में भी उतर जाते...
उस ने चाहा ही नहीं, चाहने वालों की तरह...
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एक समंदर है के मेरे मुकाबिल है...
एक कतरा है के मुझ से संभाला नहीं जाता...
एक उम्र है के बितानी है तेरे बगैर...
एक लम्हा है के तेरे बिन गुजारा नहीं जाता...
लोग निकले ही नहीं, ढूँढने वालों की तरह...
दिल तो क्या, हम रूह में भी उतर जाते...
उस ने चाहा ही नहीं, चाहने वालों की तरह...
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एक समंदर है के मेरे मुकाबिल है...
एक कतरा है के मुझ से संभाला नहीं जाता...
एक उम्र है के बितानी है तेरे बगैर...
एक लम्हा है के तेरे बिन गुजारा नहीं जाता...
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