Saturday, November 6, 2010

Bebasi

आब-ए-हयात की ख्वाहिश न की कभी, पर ए ज़िन्दगी, इक मुख़्तसर सी ख़ुशी तो दे...
मंजिलों के निशाँ न भी मिलें, रहगुजर तो रहे, सफ़र में चलते रहने की बेबसी तो दे...
-abhi

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