शब भर का ठिकाना तो, एक छत के सिवा क्या है…
क्या वक़्त पे घर जाना, क्या देर से घर जाना…
जब भी नज़र आओगे, हम तुमको पुकारेंगे…
चाहो तो ठहर जाना, चाहो तो गुज़र जाना…
क्या वक़्त पे घर जाना, क्या देर से घर जाना…
जब भी नज़र आओगे, हम तुमको पुकारेंगे…
चाहो तो ठहर जाना, चाहो तो गुज़र जाना…
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