Tuesday, April 19, 2011

Jaane Do

चले जाने दो मुझे, अब गुजर जाने दो...
कैद यूँ न रखो, टूट के बिखर जाने दो...

साहिल पे रुका हुआ, सहमा हूँ कब से मैं...
अब न और डराओ मुझे, पार उतर जाने दो...

टूटे ख़्वाबों के टुकड़े, कब तक चुनते रहे...
बीत चुकी है रात, हो गयी सेहर, जाने दो...

मुन्तजिर रहीं हैं आँखें, इन्तहां की हद तक...
बंद कर दो पलकें, अश्कों को भर जाने दो...

मंजिलों की ख्वाहिश ने, रास्ते पे ला रखा है...
ख़त्म कर दो ये सफ़र, मुझे घर जाने दो...

सुना है इतेफाकान भी, हो जाती हैं मुलाकातें...
तुम न जिधर का रुख करो, मुझे उधर जाने दो...

बोझल सी हैं सांसें, थमती जाती है अब धड़कन...
एक उम्र के इंतज़ार को, एक पल तो ठहर जाने दो...

वक़्त का तकाज़ा है, अब किरदार बदल लें हम...
एक रूह को जिंदा करो, एक लाश को मर जाने दो...

~abhi

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