Thursday, April 7, 2011

Accha Nahi Lagta

तुम अब यूँ मेरे ख़्वाबों में आया न करो...
हर सुबह तुमसे बिछड़ना, मुझे अच्छा नहीं लगता...

मेरी तन्हाई छीन लो, के तुम्हारे होते हुए...
किसी और के साथ रहना, मुझे अच्छा नहीं लगता...

सब कुछ तो ज़ाहिर है तुम पर, ये ख़ामोशी भी समझ लो...
हर बात होंठों से कहना, मुझे अच्छा नहीं लगता...

एक दर्द कोई ऐसा मिले, जो आखिरी सांस पे रुके...
हर रोज़ नया ज़ख्म सहना, मुझे अच्छा नहीं लगता...

थम जाना ही मुक़द्दर है, तो सागर ही रहने दो मुझे...
किनारों की कैद में बहना, मुझे अच्छा नहीं लगता...
~abhi

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