जबसे तुने मुझे दीवाना बना रखा है
संग हर शख्स ने हाथों में उठा रखा है
उसके दिल पर भी कड़ी इश्क में गुज़री होगी
नाम जिसने भी मुहब्बत का सज़ा रखा है
पत्थरों आज मेरे सर पे बरसते क्यों हो
मैंने तुमको भी कभी अपना खुदा रखा है
अब मेरे दीद की दुनिया भी तमाशाई है
तुने क्या मुझको मुहब्बत में बना रखा है
पी जा अय्याम की तल्खी को भी हँस कर नासिर
गम को सहने में भी कुदरत ने मज़ा रखा है
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