मेरे सवालों का कोई जवाब ही नहीं देती...
बेजुबाँ अगर नहीं, तो बदगुमाँ होगी ज़िन्दगी...
अपने परवाज़ को देते रहना, हौंसलों की हवा...
ज़मीन से उठ चली, तो आसमाँ होगी ज़िन्दगी...
उलझनों को सीने में, बस इसलिए छुपा लेते हैं...
सुलझाना अगर चाहा, तो परेशाँ होगी ज़िन्दगी...
वक़्त के इशारे पे, हर मरासिम बिखर जाते हैं...
मिल के बिछड़ गए, तो दास्ताँ होगी ज़िन्दगी...
~abhi
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